बैतूल: नाटक के जरिये दिया वृक्षों और बाल विवाह से मुक्ति का संदेश कौशल शिविर के अंतर्गत नाट्य कला का दिया जा रहा विशेष प्रशिक्षण
Betul: Message of trees and freedom from child marriage given through drama Special training of drama art is being given under Kaushal Camp

बैतूल सतपुड़ा अंचल:- ई.एफ.ए. शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बैतूलगंज, बैतूल में 12 अप्रैल से 64 कलाओं पर आधारित कौशल शिविर का आयोजन किया जा रहा है, जो शासन के निर्देशानुसार विद्यालय के प्राचार्य ललितलाल लिल्होरे के मार्गदर्शन में संचालित हो रहा है।
1. शिविर के प्रभारी शिक्षक महेश गुंजेले ने बताया कि इस शिविर के अंतर्गत 12 अप्रैल से 30 अप्रैल तक नाट्य कला का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण में विद्यालय की 100 से अधिक छात्राएं भाग ले रही हैं। शिविर के दौरान 24 अप्रैल को छात्राओं ने नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से वृक्षों को बचाने और बाल विवाह मुक्त भारत का संदेश दिया।
2. प्रशिक्षण सत्र में महाराष्ट्र, पुणे से आए नाट्यकर्मी, कहानीकार और नाट्य विशेषज्ञ दिनेश दीक्षित ने छात्राओं को नाटक की बारीकियों से परिचित कराया। प्रशिक्षण में उन्होंने बताया कि नाट्य कला ऐसी विधा है जिसमें पात्र और दर्शक के बीच सीधा संवाद होता है और यही संवाद जब किसी सामाजिक संदेश को लेकर हो तो उसका प्रभाव और गहरा होता है।
3. उन्होंने नाटक में शब्दों के सही उच्चारण की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि शब्दों का सही उच्चारण व्यक्तित्व को निखारता है और इससे अंग्रेजी भाषा में भी सुधार आता है। उन्होंने छात्राओं को स-श-ष के अभ्यास कराए और बार-बार पढ़ने और बोलने की आदत डालने की सलाह दी।
4. दिनेश दीक्षित ने नाट्य कला के विभिन्न रूपों की जानकारी देते हुए बताया कि नाटक वह विधा है जिसमें कलाकार दर्शकों के सामने संवादों, शारीरिक क्रियाओं, पहनावे, दृश्य, प्रकाश, संगीत और भाव-भंगिमाओं के माध्यम से कहानी प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने बताया कि नाटक में नवरसों में से आठ रसों का प्रयोग होता है, जिसमें वीर रस या श्रृंगार रस प्रमुख रहता है। उन्होंने नाटक के तत्वों की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि नाटक में भूमिका, चरित्र और उनके रिश्ते, स्थिति, आवाज, आंदोलन, स्थान और समय, भाषा और पाठ, प्रतीक और रूपक, मनोदशा और वातावरण, दर्शक तथा नाटकीय तनाव जैसे मुख्य घटक होते हैं, जो नाटक को जीवंत बनाते हैं। शिविर प्रभारी शिक्षक महेश गुंजेले ने कहा कि नाटक और कला, रचनात्मक अभिव्यक्ति को सक्षम बनाते हैं और इनके माध्यम से छात्राएं शिक्षा के साथ-साथ समाज के बारे में भी नए तरीके से सीखती हैं। विद्यालय की छात्राओं ने जिस आत्मविश्वास और समझदारी के साथ प्रस्तुति दी, वह निश्चित ही प्रेरणादायक रही।