आदिवासी विधानसभा में जनप्रतिनिधियों , अधिकारियों की उदासीनता के कारण आदिवासी कन्या शिक्षा परिसर बंद होने की कगार पर

प्रवीण अग्रवाल सतपुड़ा अंचल। बैतूल जिले की घोड़ाडोंगरी विधानसभा जो आरक्षित विधानसभा की श्रेणी में आती है यहां पर जनता के नुमाइंदे इसीलिए शासन की मंशा अनुसार आदिवासी वर्ग के ही चुने जाने की लिए इस सीट को आरक्षित किया गया है और बैतूल जिले की लोकसभा सीट भी आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है ।मूल उद्देश्य यही है कि आदिवासी वर्ग के हितों का आदिवासी वर्ग के यह जनप्रतिनिधि ध्यान रखेंगे लेकिन तहसील मुख्यालय पर ही देखा जाए तो चल रहा आदिवासी कन्या शिक्षा परिसर जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उदासीनता के कारण बंद होने के कगार पर आ गया है ।इस परिसर में दूरस्थ ग्रामीण अंचलों की आदिवासी छात्राएं जो गरीब वर्ग की होने के कारण और छात्रावास नहीं मिलने के कारण अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़ देती थी ऐसी छात्राओ को इस परिसर के माध्यम से शिक्षा और हॉस्टल की सुविधा मिल रही थी। लेकिन जिले के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उदासीनता के कारण शासन की यह महत्वपूर्ण योजना खटाई में पड़ रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार आशासकीय संस्था पुष्पा कांवेनट शिक्षा समिति भोपाल द्वारा संचालित आदिवासी कन्या शिक्षा परिषर, पटेल कालोनी, विकास खण्ड घोडाड़ोगरी जिला बैतूल का निरीक्षण प्रतिवेदन प्रस्ताव वर्ष 2021-22 एवं वर्ष 2022-23 सहायक आयुक्त जिला बैतूल मे लंबित है। जिसके कारण कर्मचारीयो का वेतन और छात्रावास सुविधा, अध्यपन का कार्य बंद होने की कगार पर है, एवं आदिवासी बालिकाओ का भविष्य खतरे में है। इस विषय में संस्था सचिव ने कई बार सहायक आयुक्त से प्रार्थना की लेकिन आज दिनांक तक संस्था का निरीक्षण प्रतिवेदन प्रस्ताव आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग सतपुडा भवन भोपाल को नही भेजा गया है, एक ऐसा शिक्षा परिसर जो ग्रामीण अंचलों की छात्राओं को शिक्षा जैसी महत्वपूर्ण सुविधा उपलब्ध करा रहा था आज जिम्मेदारों की उदासीनता को झेल रहा है। बंद होने की कगार पर है।पालको ने शिल्पा जैन सहायक आयुक्त से मांग की है कि उचित कार्यवाही कर आदिवासी कन्या शिक्षा परिसर को बंद होने से बचाये।