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बैतूल:- मालीखेड़ा में आदिवासियों के घर जेसीबी से गिराए, विरोध में श्रमिक आदिवासी संगठन ने निकाली रैली

एडिशनल एसपी और अजाक थाना प्रभारी को सौंपा ज्ञापन, कार्रवाई की मांग

बैतूल:- श्रमिक आदिवासी संगठन के सैकड़ों सदस्यों ने शुक्रवार को जिला मुख्यालय पर एकजुट होकर रैली निकाली और एडिशनल एसपी एवं अजाक थाना प्रभारी को ज्ञापन सौंपा। संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन की मांग करते हुए कहा कि आदेश के बावजूद अब तक जांच नहीं हुई, जिससे आदिवासियों पर वन विभाग और पुलिस का अत्याचार जारी है।
1. ज्ञापन में संगठन के सदस्यों रमेश काकोड़िया, संतोष कलमे, श्रीराम, संतोष, राजकुमार, दिनेश, सुभाष, विनोद, शिवलाल, परसराम आदि ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने हरदा, बैतूल और खंडवा के शिकायत निवारण प्राधिकरण को श्रमिक आदिवासी संगठन द्वारा हाईकोर्ट में दायर रिट पिटीशन में उठाए गए सभी मुद्दों की जांच करने का आदेश दिया था। हरदा प्राधिकरण ने 31 मार्च 2017 को अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी थी, लेकिन बैतूल प्राधिकरण ने आज तक कोई जांच नहीं की है।
2. संगठन ने बताया कि इस निष्क्रियता के चलते वन विभाग की ज्यादती एक बार फिर तेज हो गई है। 17 जून को भौरा रेंज के ग्राम मालीखेड़ा, पंचायत टोकरी में वनकर्मियों ने आदिवासी समुदाय के घरों और खेतों को गैरकानूनी तरीके से उजाड़ा। महिलाओं और पुरुषों के साथ मारपीट और गाली गलौज की गई। 19 जून को एक बार फिर बारिश के बीच जेसीबी मशीन से आदिवासियों के घर गिराए गए। जब ग्रामीणों ने वीडियो रिकॉर्डिंग की कोशिश की, तो वन कर्मियों ने वह वीडियो डिलीट करवा दिया।
3. ज्ञापन में बताया गया कि यह पूरा अभियान बिना किसी कानूनी नोटिस, जांच या प्रक्रिया के चलाया गया। ना तो वन अधिकार अधिनियम 2006 की धारा 4(5) का पालन किया गया, ना ही भारतीय वन अधिनियम की धारा 80ए के तहत नोटिस दिया गया और ना ही अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 की प्रक्रिया अपनाई गई।
4. संगठन ने कहा कि ग्राम मालीखेड़ा हमारे पुरखों का गांव है और पिछले 25 से 30 वर्षों से हम लोग यहां रह रहे हैं, खेती कर रहे हैं। 2007 में भी वन विभाग द्वारा ऐसे ही अत्याचार किए गए थे, जिसे हमने रिट पिटीशन क्रमांक 1064/2010 के प्रदर्श 28 में उठाया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में स्पष्ट आदेश दिया कि सभी मुद्दों की जांच की जाए, लेकिन 9 वर्ष बीत जाने के बावजूद आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।
5. ज्ञापन में यह भी बताया गया कि 26 नवंबर 2024 को ही बैतूल शिकायत निवारण प्राधिकरण को लिखित शिकायत दी गई थी कि वन विभाग मालीखेड़ा गांव को दोबारा उखाड़ने की धमकी दे रहा है, फिर भी कोई रोकथाम नहीं की गई, जिससे यह हालिया घटना हुई।
संगठन ने मांग की है कि इस मामले में शामिल वनकर्मियों के खिलाफ अजाक थाने में अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत अपराध दर्ज किया जाए। मजदूरी पर लाए गए लोगों की पहचान कराई जाए। जिनके घर उजाड़े गए हैं, उन्हें पुनः बसाया जाए और नुकसान की भरपाई की जाए। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश का पूर्ण रूप से पालन सुनिश्चित किया जाए।

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