बैतूल:-गोधना पहुंचे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञ,मां चंडी दरबार और किलों की ली विस्तृत जानकारी
Betul: Experts from Archaeological Survey of India reached Godhna, took detailed information about Maa Chandi Darbar and forts

बैतूल:- चिचोली तहसील के गांव गोधना स्थित ऐतिहासिक मां चंडी दरबार और आसपास के किलों को लेकर क्षेत्रीय लोगों की वर्षों पुरानी मांग को बल मिला है। बीते दिनों भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की टीम यहां पहुंची और मां चंडी दरबार, राजा इल के किले, देवल व दुधियागढ़ किले का विस्तारपूर्वक सर्वेक्षण किया।
1. सर्वेक्षण दल ने इन स्थलों का निरीक्षण करते हुए स्थल की ऐतिहासिकता, शिल्पकला, संरचना और वर्तमान स्थिति की बारीकी से जांच की। मंदिर परिसर के प्राचीन शिलालेखों, स्थापत्य और आसपास के किलेबंदी क्षेत्र को भी दस्तावेजीकृत किया गया। माना जा रहा है कि टीम द्वारा संकलित जानकारी के आधार पर बहुत जल्द चंडी दरबार और किलों को लेकर कोई नई घोषणा या रिपोर्ट जारी हो सकती है।
2. ग्राम पंचायत गोधना के सरपंच संतोष चिक्का टेकाम ने बताया कि एएसआई की टीम का आना हमारे लिए बहुत बड़ी बात है। इससे हम सबको उम्मीद है कि मां चंडी दरबार और यहां के किले राष्ट्रीय धरोहर घोषित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और गांव को ऐतिहासिक पहचान मिलेगी। इससे पहले भी इस स्थल को लेकर विभिन्न स्तरों पर मांग उठ चुकी है।
3. राष्ट्रीय अजा आयोग ने भी संज्ञान लेते हुए इस स्थान के संरक्षण और पुरातात्विक महत्व की जांच की अनुशंसा की थी। वहीं, तहसीलदार की रिपोर्ट में भी मां चंडी दरबार को ऐतिहासिक महत्व का स्थल बताया गया है। रिपोर्ट में उल्लेख है कि वर्ष 1916-17 से ही यह स्थल राजस्व अभिलेखों में मंदिर व पूजास्थल के रूप में दर्ज है। साथ ही, यह भी प्रमाणित हुआ है कि मंदिर की भूमि पर आदिवासी समाज की आस्था जुड़ी हुई है।
4. गौरतलब है कि राजा इल के समय से इस क्षेत्र में ऐतिहासिक किले, स्थापत्य और धार्मिक महत्व के कई स्थलों का अस्तित्व रहा है, जो अब जर्जर हो चुके हैं। इनका संरक्षण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत आवश्यक है। ग्रामीणों और पंचायत प्रतिनिधियों ने आशा जताई है कि एएसआई द्वारा की गई इस जांच के बाद मां चंडी दरबार को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाएगा और यहां के ऐतिहासिक किलों का पुनरुद्धार किया जाएगा। इससे आने वाली पीढ़ियों को अपने इतिहास को जानने और समझने का अवसर मिलेगा।
– क्षेत्र को सार्वजनिक घोषित करने की उठी मांग:-
गोधना के मां चंडी दरबार क्षेत्र को लेकर आदिवासी समाज सहित अन्य समाजों की भी यह मांग है कि इस क्षेत्र को सार्वजनिक घोषित किया जाए। उनका कहना है कि यह स्थान आस्था का केंद्र होने के साथ ही सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर भी है। यदि इसे सार्वजनिक स्थल का दर्जा मिल जाए तो यहां धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे क्षेत्र का समग्र विकास संभव हो सकेगा।