जानिए कैसे सारनी में 660 मेगावाट यूनिट की स्थापना के लिए रंग ला रहा विधायक पंडाग्रे का प्रयास मुख्यमंत्री मोहन यादव की कैबिनेट ने दी मंजूरी
Know how MLA Pandagre's efforts are bearing fruit for setting up a 660 MW unit in Sarni, Chief Minister Mohan Yadav's cabinet has given approval

सारनी:- बैतूल जिले की बहुप्रतीक्षित 660 मेगावाट की सुपर क्रिटिकल थर्मल यूनिट की स्थापना के प्रयासों को अब नई दिशा मिलती दिखाई दे रही है। आमला-सारनी विधायक डॉक्टर योगेश पंडाग्रे इस दिशा में लगातार गंभीरता से प्रयास कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव की कैबिनेट ने हाल ही में इस यूनिट की स्थापना को सैद्धांतिक मंजूरी दी है।
1. वर्ष 2009 से ही इस परियोजना को लेकर चर्चा और आंदोलनों का दौर चलता रहा है। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सतपुड़ा-2 खदान के पास पांचों विधायकों के साथ केंद्र की कांग्रेस सरकार की नीतियों के विरोध में कोल सत्याग्रह भी किया था। बाद में, 24 अगस्त 2023 को शिवराज सिंह चौहान ने सारनी में 660 मेगावाट की यूनिट की आधारशिला रखी थी और कई योजनाओं का भूमिपूजन किया था।
2. वर्तमान में सतपुड़ा ताप विद्युत गृह में केवल 500 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। विद्युत मंडल कर्मचारी यूनियन अगस्त 2017 से शांतिपूर्वक पत्राचार और ज्ञापन देकर 2×660 मेगावाट यूनिट की स्थापना की मांग कर रही है। यूनियन के प्रांतीय महामंत्री सुशील शर्मा और क्षेत्रीय महामंत्री अंबादास सूने के अनुसार, चुनावी समय में भी यह मांग निरंतर दोहराई गई थी।
मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड ने इस परियोजना के लिए एनटीपीसी की कंसल्टेंसी विंग, नोएडा को 55 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए हैं, जो यूनिट की स्थापना के लिए आवश्यक तकनीकी सलाह और कार्रवाई करेगी। यूनियन ने यह भी स्पष्ट किया है कि कंपनी किसी भी तरह के निजीकरण का विरोध करेगी और जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड को ही संचालन और संधारण का अधिकार मिलना चाहिए।
विधायक डॉक्टर योगेश पंडाग्रे ने बताया कि:- यूनिट की स्थापना के लिए भेल से टेंडर प्राप्त हुआ है, लेकिन टेंडर में दर्शाए गए प्रति मेगावाट दर अधिक होने से फिलहाल टेंडर को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस विषय पर कंपनी के प्रबंध संचालक मनजीत सिंह से लगातार संवाद हो रहा है। वहीं यूनियन की ओर से मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव से अनुरोध किया गया है कि केंद्र सरकार से बात कर भेल को सकारात्मक सहयोग देने के लिए कहें, ताकि कार्य शीघ्र प्रारंभ हो सके।
इस यूनिट को वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड की प्रस्तावित गांधीग्राम और तवा-3 खदानों से कोयले की आपूर्ति होगी। यूनियन का कहना है कि सारनी टाउनशिप के लिए कवर्ड कॉलोनी, नया शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, चिकित्सालय में स्थायी डॉक्टर और आधुनिक सुविधाएं भी जरूरी हैं। साथ ही, 20 वर्षों से भर्ती न होने के कारण कंपनी में अनुभवी अधिकारियों और कर्मचारियों की भारी कमी है। यूनियन का मत है कि सेवानिवृत्त अनुभवी अधिकारियों और इंजीनियरों का सहयोग लिया जाना चाहिए ताकि परियोजना समय पर पूरी हो सके। मुख्यमंत्री के नाम यह ज्ञापन मुख्य अभियंता वी के कैथवार को सौंपा गया। इस दौरान अतिरिक्त मुख्य अभियंता एस एन सिंह, यूनियन के क्षेत्रीय महामंत्री अंबादास सूने, धर्मेंद्र धुर्वे, अमित सल्लाम, जितेन्द्र वर्मा और निर्मल प्रजापति सहित अनेक सदस्य उपस्थित थे।