बैतूल:-राष्ट्रीय आदिवासी ओझा जनजाति गौरव दिवस मनाया, आदिवासी सामुदायिक मंगल भवन संभागीय स्तर पर हुआ आयोजन
Betul:- National Tribal Ojha Tribe Pride Day celebrated, organized at Tribal Community Mangal Bhavan divisional level

बैतूल:- आदिवासी सामुदायिक मंगल भवन गंज में रविवार 11 मई को राष्ट्रीय आदिवासी ओझा जनजाति गौरव दिवस मनाया गया, जिसमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना राज्यों के ओझा जनजाति के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से योगेश धुर्वे अध्यक्ष नर्मदापुरम संभाग अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद मध्य प्रदेश उपस्थित रहे। अतिथि के रूप में मोहन ओझा भोपाल ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मंशू ओझा के जीवन परिचय से अवगत कराया, जिन्होंने घोड़ाडोंगरी विकास खंड के ग्राम रातामाटी (वर्तमान निवास ओझा ढाना, घोड़ाडोंगरी) से स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने 1942 से 1944 के बीच नरसिंहपुर जेल में अंग्रेजों की यातनाएं सहते हुए आजादी की लड़ाई लड़ी। मंशू ओझा को उनकी वीरता के सम्मान में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा 15 अगस्त 1972 को ताम्रपत्र से अलंकृत किया गया था, जो वर्तमान में भारत रत्न के समकक्ष माना जाता है।
1. इस अवसर पर ओझा ढाना बैतूल निवासी मनोहर धुर्वे ने शहीद हल्कूराम परते की जीवनी पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मण्डला जिले के वीर सपूत हल्कूराम परते, जो 75वीं सीआरपीएफ बटालियन में पंजाब के तरनतारन जिले में वर्ष 1989 में पदस्थ थे, 8 अगस्त 1991 को आतंकवादियों से मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त हुए थे। उनकी शहादत से ओझा जनजाति का गौरव और भी बढ़ा है, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
2. कार्यक्रम के मुख्य सूत्रधार श्याम कुमार धुर्वे ने ओझा जनजाति गौरव दिवस मनाने का उद्देश्य समझाते हुए बताया कि ओझा जनजाति भारत के विभिन्न राज्यों में निवासरत है, लेकिन अन्य जनजातियों की तुलना में उपेक्षित जीवन जी रही है। उन्होंने कहा कि ओझा समाज आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षणिक दृष्टि से अत्यंत पिछड़ा और दयनीय स्थिति में है, जबकि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर देश की सुरक्षा तक में उनके योगदान को नजरअंदाज किया गया है।
3. इस अवसर पर ओझा जनजाति के इतिहास, वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर विशेष चर्चा की गई। समाज के उत्थान के लिए राजनीतिक, प्रशासनिक और अन्य समाज के सहयोग से कार्ययोजना बनाने पर विचार किया गया। साथ ही, ओझा जनजाति के आपसी परिचय और सामाजिक एकता को मजबूत करने के लिए कार्ययोजना तैयार की गई। इस ऐतिहासिक अवसर पर ओझा जनजाति के गौरव रत्नों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उनके बलिदान को सम्मानित करते हुए समाज को एकजुट होकर आगे बढ़ने का संकल्प लिया गया।
– ओझा जनजाति के विकास के लिए एकजुटता और शिक्षा पर दिया जोर
आदिवासी ओझा जनजाति गौरव दिवस के अवसर पर युवा मूलचंद मरार ने कहा कि ओझा जनजाति को विकास की राह पर आगे बढ़ाने के लिए एकजुट, संगठित और शिक्षित होना आवश्यक है। उन्होंने राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाने की जरूरत पर भी बल दिया, जिससे ओझा जनजाति का समग्र विकास सुनिश्चित हो सके।