आठनेरबैतूल

थाने पहुंची ट्रैक्टर और डेटोनेटर, लेकिन पोकलेन रास्ते से हुईं घुम का नहीं कोई अता-पता

तहसीलदार बोलीं– पोकलेन थाने के सुपुर्द की, थाना प्रभारी बोलीं– हमें नहीं मिली

सतपुड़ा अंचल ब्यूरो बैतूल। आठनेर तहसील में अवैध विस्फोटक सामग्री मिलने के बाद तहसील प्रशासन और पुलिस विभाग की कार्रवाई सवालों के घेरे में आ गई है। तहसीलदार कीर्ति डेहरिया के अनुसार, जब्त की गई पोकलेन और ट्रैक्टरों को थाना आठनेर के सुपुर्द कर दिया गया था, लेकिन अब खुलासा हुआ है कि ट्रैक्टर और 137 डेटोनेटर तो थाने पहुंच गए, लेकिन पोकलेन का अब तक कोई सुराग नहीं है।

मामला आठनेर तहसील के अंतर्गत तिलकचंद लहरपुरे पिता पन्नालाल लहरपुरे की कृषि भूमि का है, जहां कुआं खुदाई के लिए ब्लास्टिंग की जा रही थी। सूचना मिलते ही नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचे और जांच के दौरान 137 नग डेटोनेटर बरामद किए गए। चूंकि इनके पास कोई वैध परमिट नहीं था, इसलिए प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए डेटोनेटर के साथ वहां मौजूद एक पोकलेन और दो ट्रैक्टरों को भी जब्त कर लिया।

जांच में पता चला कि जब्त किए गए ट्रैक्टरों और पोकलेन मशीन पर कोई भी रजिस्ट्रेशन नंबर मौजूद नहीं था। इतना ही नहीं, ट्रैक्टर चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन के दस्तावेज भी नहीं मिले। मौके पर मौजूद मजदूरों की पहचान भी कर ली गई थी। पोकलेन मशीन के मालिक गणेश पिता शरद भरतपुरे, निवासी आठनेर हैं, जबकि ट्रैक्टरों के मालिक प्रदीप उइके पिता शिवदीन उइके हैं। मजदूरों में कज्जू पिता मारोती उइके निवासी रजापुर ढाना, हरि उइके पिता पुरन निवासी नांगाढाना, हरिराम पिता प्यारे पन्द्राम निवासी रगड़गांव और दिनेश उइके पिता रामदास निवासी करजगांव (महाराष्ट्र) शामिल थे।

इस मामले में तहसीलदार कीर्ति डेहरिया ने कहा कि जब्त वाहन और विस्फोटक सामग्री थाना आठनेर को सुपुर्द कर दी गई थी और आगे की कार्रवाई पुलिस विभाग को करनी थी। थाना प्रभारी बबीता धुर्वे ने स्पष्ट किया कि 137 डेटोनेटर जब्ती मामले में प्रकरण दर्ज हो चुका है और ट्रैक्टर भी थाने में मौजूद हैं, लेकिन पोकलेन का मामला अलग है। उन्होंने कहा कि पोकलेन को लेकर तहसीलदार ने प्रेस नोट जारी किया था, लेकिन पुलिस को इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई थी।

 

खास बात यह है कि थाने में पदस्थ एस आई भी घटना के समय मौके पर पहुंचे थे , इसके बावजूद पोकलेन का कोई अता-पता नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर जब्त की गई पोकलेन कहां गई? यदि प्रशासन ने इसे पुलिस को सौंपा था तो फिर यह वाहन थाने क्यों नहीं पहुंचा।

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