सुहाना मौसम सावन महिने का “झूला झूल रही गोरा रानी, झूला रहे भोलेनाथ

सतपुड़ा अंचल भोपाल। सावन के महीने में भगवान शिव जी के साथ माता पार्वती जी की भी आराधना का यह सावन माह है l यह सुहागानों के साथ कुंवारी बेटियों के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है l इस पावन मास में सुहागीने हाथों में हरी चूड़ियां पहन कर, मेहंदी सजाकर, और सोलह सिंगार, करके भगवान शिव जी और माता पार्वती जी की पूजा करती हैं l सावन में सखियों के साथ झूला झूलने का भी अपना अलग ही महत्व है सावन से जुड़ी यादें हम सभी के मन मस्तिक को हमेशा बहुत ही आनंदित करती रहती हैंl वर्षा के आगमन के साथ ही संपूर्ण धरती चारो ओर हरियाली देखकर मन बड़ा प्रफुल्लित होता है l जब चराचर स्वयं को समेटे “वसुंधरा” ने भी हरा सिंगार किया हो l तो श्रृंगार प्रिया शक्ति स्वरूपिणी आस्थावान सुहागीने इस उमंग को अपने अंग-अंग में धारण कर क्यों ना जीभर जी ले? एवं सावन महीने का संपूर्ण आनंद लें हिंदू परंपरा के अनुसार सावन में हरे रंग का अत्यधिक धार्मिक महत्व स्वीकार किया जाता हैl और जब बात सावन की हो तो हरे रंग के साथ बहुत से महत्यामय में जुड़ जाते हैं l सावन महीने में हरे वस्त्र, एवं हरासिंगार, हरी चूड़ी, धारण करने से भगवान शिव जी एवं देवी पार्वती जी बहुत खुश होते हैं l जिससे शुभता की वृद्धि होती है, हरा रंग सौभाग्य और समृद्धि का सूचक है, हरियाली में डूबी प्रकृति की विशेष कृपा प्राप्त होती है l उल्लास और खुशी के प्रतीक झूले के महत्व पर कई कथाएं है, कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ ने सावन में देवी पार्वती जी को झूला झुलाया था l तो वहीं पर बहुत जगह यह माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी को झूला झुलाया था l इसी प्रकार सावन महीने में महिलाएं एवं कन्याएं झूला जरूर झूलती हैं l एवं हरा सिंगार जरूर करती हैं, एवं हरियाली तीज के गीत भी गाती हैं l सावन माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरे-भरे वातावरण में हरियाली तीज धूमधाम से मनाई जाती है l जिसमें सौभाग्यवती स्त्रियां पति के आरोग्य, आयुष्य, दीर्घायु, की कामना के लिए निर्जला उपवास कर माता पार्वती जी एवं शंकर जी की पूजा अर्चना कर आनंदित होती हैंl…
इसी तरह श्री राधा रानी एवं श्री कृष्ण जी के भी गीत गाती हैं एवं खुशियां मनाती हैं।
“झूला झूल रही गोरा रानी, झूला रहे भोलेनाथ जी”,,,,,”झूला झूल रही राधा रानी झूला रहे कृष्ण मुरारी जी”,
सावन महीने में ही कावड़ यात्रा निकाली जाती है l जगह-जगह शिव अभिषेक होते हैं, पूरे महीने कावड़ यात्रा चलती है l भगवान शिव जी एवं देवी पार्वती जी की जगह-जगह पूजा होती है समस्त व्रत त्योहार और उत्सव मनाते हैं l सावन लगते ही पूर्वांचल सहित समूचे उत्तर भारत मचल उठता है, बोल बम का उच्चारण, केसरिया रंग का कुर्ता-पजामा कुर्ता-धोती गमछा, तथा भक्ति रस की फुहार में फूल-पत्तियों, हार-मालाए,और घुंघरू, से सजाए गए कावड़ और उन्हें धारण किए कावड़ियों को देखना सावन की जीवंतता को और सजीव बनाता है l “कावड़ियों” को सभी धर्म प्रेमी भाई- बहन, स्वजन, खिचड़ी,भोजन,फल, शुद्ध जल, चाय, शरबत,आदि का निशुल्क वितरण करते हैं l जगह-जगह टेंट लगाकर स्वागत सत्कार करते हैं l एवं श्रद्धानुसार दान पुण्य भी करते हैं l यही सावन का एक बहुत ही सच्चा भाव है l बोल बम का नारा है, महादेव हमारा है, हर हर महादेव, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं l “सावन” का यह गीत बहुत ही अच्छा लगता है जिसे हम हर सावन में झूला झूलते समय जरूर गुनगुनाते हैंl
सावन का महीना, पवन करे शोर, जियारा रे झूमें ऐसे, जैसे बनमा नाचे मोर’ ‘रामा गजब ढाए, यह पुरवइया
नैया संभालो कित, खोय हो खिवैया, होय पुरवइया, के आगे चले ना कोई जोर, जियरा रे झूमे ऐसे, जैसे बनमा नाचे मोर’,,,,
मौजवा करें क्या, जाने हमको इशारा, जाना कहां है, पूछे नदिया की धारा, मर्जी है तुम्हारी, ले जाओ जिस और,
जियरा रे झूमे ऐसे जैसे बनमा नाचे मोर,,,,,,,जिनके बलम बेरी, गए हैं विदेशवा,
आई है लेके उनके, प्यार का संदेशवा कारी मतवारी घटाएं घनघोर,
जियारा रे झूमे ऐसे जैसे बनमा नाचे मोर,,,,,सावन का महीना, पवन करे शोर,,,,,,
सावन का पूरा महीना व्रत, पूजा पाठ, उपवास, एवं दान पुण्य सारे तीज त्यौहार के लिए माना जाता है l रक्षाबंधन एवं सारे त्यौहार सावन महीने में ही आते हैं l रक्षाबंधन एवं सारे तीज त्यौहार एवं 15 अगस्त की सभी भाइयों बहन एवं देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई एवं बहुत-बहुत शुभकामनाएं